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{{KKRachna
|रचनाकार=अज्ञेय
}}
<Poem>
तारे, तू तारा देख।
काश कि मैं तुझे देखूँ
तारों की हज़ारहा आँखों से।
</poem>
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तारे, तू तारा देख।
काश कि मैं तुझे देखूँ
तारों की हज़ारहा आँखों से।
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