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19:41, 25 अप्रैल 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा
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<Poem>
अब तो उलटना नकाब होगा
जुर्मों का उनके हिसाब होगा
हमारा खूने-जिगर कब तलक
उन्हीं का जामे-शराब होगा
जिन्होनें छीनी हमारी रोटी
अब उनका खा़ना ख़राब होगा
कुदाल-खुरपी औ’ फावडा-हल
अब नूर होगा शबाब होगा
चुएगी गंगा हमारे सिर से
सारा पसीना गुलाब होगा
</Poem>