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{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा
}}
<Poem>
पसीना हलाल करो
काल महाकाल करो
तेल बना रक्त जले
हड्डियाँ मशाल करो
संगीन के सामने
खुरपी व कुदाल करों
महलों के बुर्जों पर
तांडव बेताल करो
कालिमा को चीर दो
दिशा-दिशा लाल करो
सबसे पहले अब हल
भूख का सवाल करो
</Poem>
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|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा
}}
<Poem>
पसीना हलाल करो
काल महाकाल करो
तेल बना रक्त जले
हड्डियाँ मशाल करो
संगीन के सामने
खुरपी व कुदाल करों
महलों के बुर्जों पर
तांडव बेताल करो
कालिमा को चीर दो
दिशा-दिशा लाल करो
सबसे पहले अब हल
भूख का सवाल करो
</Poem>