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लहर / जयशंकर प्रसाद

1,109 bytes added, 11:22, 6 जुलाई 2006
लेखक: [[जयशंकर प्रसाद]]
[[Category: जयशंकर प्रसाद]]

वे कुछ दिन कितने सुंदर थे ?<br>
जब सावन घन सघन बरसते<br>
इन आँखों की छाया भर थे<br><br>

सुरधनु रंजित नवजलधर से-<br>
भरे क्षितिज व्यापी अंबर से<br>
मिले चूमते जब सरिता के<br>
हरित कूल युग मधुर अधर थे<br><br>

प्राण पपीहे के स्वर वाली<br>
बरस रही थी जब हरियाली<br>
रस जलकन मालती मुकुल से<br>
जो मदमाते गंध विधुर थे<br><br>

चित्र खींचती थी जब चपला<br>
नील मेघ पट पर वह विरला<br>
मेरी जीवन स्मृति के जिसमें<br>
खिल उठते वे रूप मधुर थे<br><br>