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तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं / ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'
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06:05, 3 मई 2009
शब-ए-फ़ुर्क़त में क्या क्या साँप लहराते हैं सीने पर<br>
तुम्हारी काकुल-ए-पेचाँ को जब हम याद करते हैं<br>
[http://jagjitsingh-sankalp.blogspot.com/[Bazm-E-Jagjit]]
Bohra.sankalp
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