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|रचनाकार = ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'
}}
[[Category:गज़ल]]
सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या<br>
केहती है तुझको खल्क़-ए-खुदा ग़ाएबाना क्या <br><br>
 
ज़ीना सबा का ढूँढती है अपनी मुश्त-ए-ख़ाक<br>
बाम-ए-बलन्द यार का है आस्ताना क्या<br><br>
ज़ेरे ज़मीं से आता है गुल हर सू ज़र-ए-बकफ़<br>
तिरछी निगह से ताइर-ए-दिल हो चुका शिकार <br>
जब तीर कज पड़ेगा उड़ेगा निशाना क्या?<br><br>
 
बेताब है कमाल हमारा दिल-ए-अज़ीम <br>
महमाँ साराय-ए-जिस्म का होगा रवना क्या<br><br>
यूँ मुद्दई हसद से न दे दाद तू न दे <br>
आतिश ग़ज़ल ये तूने कही आशिक़ाना क्या?
 
*[http://jagjitsingh-sankalp.blogspot.com/ Bazm-E-Jagjit]
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