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|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" }}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 1|आगे=रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 3|संग्रहसारणी= रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
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श्रद्धा बढ़ती अजिन-दर्भ पर, परशु देख मन डरता है,
पड़ती मुनि की थकी देह पर और थकान मिटाती है।