लेखक: [[गोपालदास "नीरज"]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~|संग्रह=}}
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,<br>
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊंगा!<br><br>