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खेतों पर ओस-भरा कुहरा
कुहरे पर भीगी चाँदनीचांदनी
आँखों के बादल से आँसू
हँसती है उन पर चाँदनीचांदनी
दुख की दुनिया पर बुनती है
माया के सपने चाँदनीचांदनी
मीठी मुसकान बिछाती है
भीगी पलकों पर चाँदनीचांदनी
लोहे की हथकड़ियों-सा दुख
सपनों सी मीठी चाँदनीचांदनी
लोहे से दुख को काटे क्या
सपनों-सी मीठी चाँदनीचांदनी
यह चाँद चांद चुरा कर लाया है
सूरज से अपनी चाँदनीचांदनी
सूरज निकला अब चाँद चांद कहाँ
छिप गई लाज से चाँदनीचांदनी
दुख और कर्म का यह जीवन
वह चार दिनों की चाँदनीचांदनी
यह कर्म सूर्य की ज्योति अमर
वाह अंधकार की चाँदनीचांदनी