भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKRachna|रचनाकार: [[=नागार्जुन]]}}
[[Category:कवितायें]]
[[Category:नागार्जुन]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ <poem>>
क्षुब्ध गंगा की तरंगों के दुसह आघात...
 
शोख पुरवइया हवा की थपकियों के स्पर्श...
 
खा रही है किशोरों की लाश...
 
--हाय गांधी घाट !
 
--हाय पाटलिपुत्र !
 
दियारा है सामने उस पार
 
पीठ पीछे शहर है इस पार
 
आज ही मैं निकल आया क्यों भला इस ओर ?
 
दे रहा है मात मति को
 
दॄश्य अति बीभत्स यह घनघोर ।
 
भागने को कर रही है बाध्य
 
सड़ी-सूजी लाश की दुर्गन्ध
 
मर चुका है हवाखोरी का सहज उत्साह
 
वह गंगा, वाह !
 
वाह पाटलिपुत्र !
'''(1957 में रचित)</Poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,629
edits