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[[Category:कवितायें]]
[[Category:नागार्जुन]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ <poem>
ख़ून-पसीना किया बाप ने एक, जुटाई फीस
 
आँख निकल आई पढ़-पढ़के, नम्बर पाए तीस
 
शिक्षा मंत्री ने सिनेट से कहा--"अजी शाबाश !
 
सोना हो जाता हराम यदि ज़्यादा होते पास"
 
फेल पुत्र का पिता दुखी है, सिर धुनती है माता
 
जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता
'''(1953 में रचित)</Poem>
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