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Kavita Kosh से
कभी राधा भी तट पर आ गई थी, श्याम से पहले।
वो लक्ष्मी हो कि सीता हो, कि राधा हो या गौरी हो,तुम्हारा नाम आएगा, हमारे नाम से पहले। इरादे नेक थे अपने, तक़ीनन ठीक थी नीयत,दिखाना था मुहूरत भी, हमें, शुभ काम से पहले। सुबह उठते ही सोचा था, पिएँगे अब नहीं 'वाते',खुदा से है दुआ, तौबा न टूटे शाम से पहले।
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