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जब दिल ने दिल को जान लिया निर्जन की जिज्ञासा है निर्झर की तुतली बोली में <br>जब अपना-सा सब मान लिया विटपों के हैं प्रश्नचिन्ह विहगों की वन्य ठिठोली में <br>तब ग़ैर-बिराना कौन बचा इंगित हैं' कुछ और पूछ लूँ' इन्द्रचाप की रोली में <br>यदि बचा सिर्फ़ तो मौन बचा ! <br><br><br>संशय के दो कण लाया हूँ आज ज्ञान की झोली में । <br>