भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: चैन से हमको कभी आपने जीने ना दिया ज़हर भी चाहा अगर, पीना तो पीने न द...
चैन से हमको कभी आपने जीने ना दिया
ज़हर भी चाहा अगर, पीना तो पीने न दिया
चाँद के रथ पे रात की दुल्हन, जब जब आएगी
याद हमारी आपके दिल को तदपा जायेगी
आपने जो है दिया, वो तो किसी ने न दिया,
ज़हर भी चाहा अगर पीना तो पीने ना दिया,
आपका गम जो इस दिल में, दिन रात अगर होगा
सोच के ये दम घुट ता है, फिर कैसे बसर होगा,
काश ना आती अपनी जुदाई, मौत ही आ जाती
कोई बहाने चैन हमारी, रूह तो पा जाती
एक पल हसना कभी, दिल की लगी ने ना दिया
ज़हर भी चाहा अगर, पीना तो पीने ना दिया...
ज़हर भी चाहा अगर, पीना तो पीने न दिया
चाँद के रथ पे रात की दुल्हन, जब जब आएगी
याद हमारी आपके दिल को तदपा जायेगी
आपने जो है दिया, वो तो किसी ने न दिया,
ज़हर भी चाहा अगर पीना तो पीने ना दिया,
आपका गम जो इस दिल में, दिन रात अगर होगा
सोच के ये दम घुट ता है, फिर कैसे बसर होगा,
काश ना आती अपनी जुदाई, मौत ही आ जाती
कोई बहाने चैन हमारी, रूह तो पा जाती
एक पल हसना कभी, दिल की लगी ने ना दिया
ज़हर भी चाहा अगर, पीना तो पीने ना दिया...