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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=तेजेन्द्र शर्मा]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:तेजेन्द्र शर्मा]]<poem>मेरा पासपोर्ट नीले से लाल हो गया हैमेरे व्यक्तित्व का एक हिस्साजैसे कहीं खो गया है
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~मेरी चमड़ी का रंग आज भी वही हैमेरे सीने में वही दिल धड़क़ता हैजन गण मन की आवाज़, आज भीकर देती है मुझे सावधान !और मैं, आराम से, एक बार फिरबैठ जाता हूं, सोचना जैसे टल जाता हैकि पासपोर्ट का रंग कैसे बदल जाता है
मेरा पासपोर्ट नीले से लाल भावनाओं का समुद्र उछाल भरता हैआइकैरेस सूरज के निकट हुआ जाता हैपंख गलने में कितना समय लगेगा?धडाम! धरती की खुरदरी सतहलहु लुहान आकाश हो गया है<br>!मेरे व्यक्तित्व रंग आकाश का एक हिस्सा<br>कैसे जल जाता है?जैसे कहीं खो गया पासपोर्ट का रंग कैसे बदल जाता है<br><br>?
मेरी चमड़ी का रंग आज भी वही है<br>मि्त्रों ने देशद्रोही कर दिया करारमेरे सीने में वही दिल धड़क़ता है<br>लाख चिल्लाया, लाख की पुकारजन गण मन की आवाज़उन्हें समझाया, आज भी<br>अपना पहलू बतायाकर देती है मुझे सावधान !<br>किन्तु उन्हें, न समझना थाऔर मैंन समझे, आराम से, एक बार फिर<br>न ही किया प्रयासबैठ जाता हूं, सोचना जैसे टल मित्रों का व्यवहार कैसे छल जाता है<br>!कि पासपोर्ट का रंग कैसे बदल जाता है<br><br>
भावनाओं का समुद्र उछाल भरता है<br>आइकैरेस सूरज के निकट हुआ जाता है<br>पंख गलने में कितना समय लगेगा?<br>धडाम! धरती की खुरदरी सतह<br>लहु लुहान आकाश हो गया!<br>रंग आकाश का कैसे जल जाता है?<br>पासपोर्ट का रंग कैसे बदल जाता है?<br><br> मि्त्रों ने देशद्रोही कर दिया करार<br>लाख चिल्लाया, लाख की पुकार<br>उन्हें समझाया, अपना पहलू बताया<br>किन्तु उन्हें, न समझना था<br>न समझे, न ही किया प्रयास<br>मित्रों का व्यवहार कैसे छल जाता है!<br>कि पासपोर्ट का रंग कैसे बदल जाता है<br><br> जगरांव से लुधियाना जाना,<br>ग्रामद्रोह कहलायेगा<br>लुधियाने से मुंबई में बसना<br>नगरद्रोह बन जायेगा<br>मुंबई से लंदन आने में<br>सब का ढंग बदल जाता है<br>पासपोर्ट का रंग बदल जाता है<br><br/poem>
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