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कविता / मुकुटधर पांडेय

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कविता शैशव का सुविचार अनूप है ।
कविता भावोन्मतों भावोन्मत्तों का सुप्रलाप है,
कविता कांत-जनों का मृदु आलाप है ।
कविता आत्मोद्धारण हेतु दृढ़ ढाल है ।
कविता कोई लोकोत्तर आल्हाद आह्लाद है,
कविता सरस्वती का परम प्रसाद है ।