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Kavita Kosh से
वे मेरे गुरुजन नहीं थे। वे दिशाहारा थे।
अपने ही तर्कों के गलित वाग्जाल से पराजित
:::उद्भ्रान्त।उद्भ्रान्त।
उसके पहले उन्होंने कभी भी चुनौतियाँ नहीं स्वीकारी थीं