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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=तेजेन्द्र शर्मा]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:तेजेन्द्र शर्मा]]<poem>नज़र में जो हों, उन नज़ारों को पूजोकहीं चश्मों, नदियों, पहाड़ों को पूजो
कभी पूजो गिरजे व मस्जिद शिवालय<br>बुत को, कभी बुतकदों कोसमाधी कभी चांद सूरज व रोज़ा, मज़ारों तारों को पूजो<br><br>
कभी पूजो गर्मीपूजा करते हो, कभी पूजो सर्दी<br>वीरान राहेंखिज़ां को कभी, फिर बहारों जा के उजडे़ दयारों को पूजो<br><br>