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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=तेजेन्द्र शर्मा]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:तेजेन्द्र शर्मा]]<poem>किया बेआबरू, ये यार मेरा कैसा हैलगे यूं फिर भी मुझे जैसे रब के जैसा है
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~नहीं है देखा उसे आज तक कभी यारोवो होगा जैसा भी मेरे ख़्याल जैसा है
किया बेआबरूकभी ना मुझ को करे याद, ये यार मेरा कैसा है<br>दूर दूर रहेलगे यूं फिर भी मुझे जैसे रब के जैसा मैं हूं गरीब, मगर उसके पास पैसा है<br><br>
नहीं है देखा उसे आज तक कभी यारो<br>वो जानता रिश्तों की अहमियत या रबवो होगा जैसा समझे रिश्ता हमारा भी मेरे ख़्याल जैसा ऐसा वैसा है<br><br>
कभी ना मुझ को करे याद, दूर दूर रहे<br>मैं हूं गरीब, मगर उसके पास पैसा है<br><br> नहीं वो जानता रिश्तों की अहमियत या रब<br>वो समझे रिश्ता हमारा भी ऐसा वैसा है<br><br> कभी था हीर से रांझे का प्यार चर्चा में<br>लगे मुझे भी, मेरा प्यार तुमसे वैसा है<br><br/poem>
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