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Kavita Kosh से
मेरी तेरी निगाह में जो लाख इंतज़ार हैं<br>
जो मेरे तेरे तन -बदन में लाख दिल फ़िग़ार हैं<br>
जो मेरी तेरी उंगलियों की बेहिसी से सब क़लम नज़ार हैं<br>
जो मेरे तेरे शहर की हर इक गली में<br>