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आह को चाहिये इक उम्र असर होते तक / ग़ालिब
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08:13, 18 मई 2009
गर्मी-ए-बज़्म है इक रक़्स-ए-शरर<ref>चिंगारी का नृत्य</ref> होने तक <br><br>
ग़मे-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग <ref>
म्रुत्यु
मृत्यु
के अतिरिक्त</ref>इलाज <br>
शम्म'अ हर रंग में जलती है सहर होने तक <br><br>
{{KKMeaning}}
द्विजेन्द्र द्विज
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