भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामधारी सिंह '"दिनकर'" |संग्रह= रश्मिरथी / रामधारी सिंह '"दिनकर'"
}}
[[रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 4|<< पिछला भाग]]
'सिर था जो सारे समाज का, वही अनादर पाता है।
जिसमें हो धीरता, वीरता और तपस्या का बल भी।
[[रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 6|अगला भाग >>]]