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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=सुदर्शन फ़ाकिर]][[Category:कविताएँ]]}}
[[Category:गज़ल]]
[[Category: सुदर्शन फ़ाकिर]]<poem>दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखाबस तेरा नाम ही लिखा देखा
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~तेरी आँखों में हमने क्या देखाकभी क़ातिल कभी ख़ुदा देखा
दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखा <br>अपनी सूरत लगी प्यारी सी बस तेरा नाम ही लिखा जब कभी हमने आईना देखा <br><br>
तेरी आँखों में हमने क्या देखा <br>हाय अंदाज़ तेरे रुकने का कभी क़ातिल कभी ख़ुदा वक़्त को भी रुका रुका देखा <br><br>
अपनी सूरत लगी प्यारी सी <br>तेरे जाने में और आने में जब कभी हमने आईना सदियों का फ़ासला देखा <br><br>
हाय अंदाज़ तेरे रुकने का <br>वक़्त को भी रुका रुका देखा <br><br> तेरे जाने में और आने में <br>हमने सदियों का फ़ासला देखा <br><br> फिर न आया ख़याल जन्नत का <br>जब तेरे घर का रास्ता देखा <br><br/poem>
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