भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रेम नारायण ’पंकिल’'पंकिल'
}}
<poem>
बार बार पथ घेर घेर वह टेर टेर तुमको मधुकर
तेरे रंग महल का कोना कोना कर रसमय निर्झर