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क्या हुई ज़ालिम तिरी ग़फलत-शि`आरी हाए हाए<br><br>
तेरे दिल में गर न था आशोब-ए -ग़म का हौसला<br>
तू ने फिर क्यूं की थी मेरी ग़म-गुसारी हाए हाए<br><br>
दुश्मनी अपनी थी मेरी दोस्त-दारी हाए हाए<br><br>
उम्र भर का तू ने पैमान-ए -वफ़ा बांधा तो क्या<br>
उम्र को भी तो नहीं है पाइदारी हाए हाए<br><br>
ज़हर लगती है मुझे आब-ओ-हवा-ए -ज़िन्दगी<br>
यानी तुझ से थी उसे ना-साज़गारी हाए हाए<br><br>
गुल-फ़िशानीहा-ए -नाज़-ए -जलवा को क्या हो गया<br>
ख़ाक पर होती है तेरी लालह-कारी हाए हाए<br><br>
शर्म-ए -रुसवाई से जा छुपना नक़ाब-ए -ख़ाक में<br>
ख़तम है उल्फ़त की तुझ पर पर्दह-दारी हाए हाए<br><br>
ख़ाक में नामूस-ए पैमान-पैमाना-ए -मुहब्बत मिल गई<br>उठ गई दुनिया से राह-ओ-रस्म-ए -यारी हाए हाए<br><br>
हाथ ही तेग़-आज़्मा का काम से जाता रहा<br>
दिल पह इक लगने न पाया ज़ख़्म-ए -कारी हाए हाए<br><br>
किस तरह काटे कोई शबहा-ए -तार-ए -बर्श-काल<br>है नज़र ख़ू-कर्दह-ए -अख़्तर-शुमारी हाए हाए<br><br>
गोश महजूर-ए -पयाम-ओ-चश्म महरूम-ए -जमाल<br>
एक दिल तिस पर यह ना-उम्मीदवारी हाए हाए<br><br>
इश्क़ ने पकड़ा न था ग़ालिब अभी वहशत का रंग <br>
रह गया था दिल में जो कुछ ज़ौक़-ए -ख़्वारी हाए हाए