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[[Category:ग़ज़ल]]
था ज़िन्दगी में मर्ग का खटका लगा हुआ<br>
उड़ने से पेशतर भी मिरा रन्ग रंग ज़र्द था <br><br>
तालीफ़-ए नुसख़हहा-ए -वफ़ा कर रहा था मैं<br>मज्मू`अह-ए -ख़याल अभी फ़र्द -फ़र्द था <br><br>
दिल ता जिगर कि साहिल-ए -दरया-ए -ख़ूं है अब<br>उस रहगुज़र में जलवह-ए -गुल आगे गर्द था <br><br>
जाती है कोई कश्मकश अन्दोह-ए -`इश्क़ की<br>दिल भी अगर गया तो वुही वही दिल का दर्द था <br><br>
अह्बाब चारह-साज़ी-ए -वहशत न कर सके<br>
ज़िन्दां में भी ख़याल बियाबां-नवर्द था <br><br>
यह लाश-ए -बे-कफ़न असद-ए -ख़स्तह-जां की है<br>
हक़ मग़्फ़रत करे `अजब आज़ाद मर्द था