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खडा़ है कौन पैराहन-ए-शरर१ शरर<ref>चिनगारी का परिधान</ref> पहने
बदन है चूर तो माथे से ख़ून जारी है
ज़माना गुज़रा कि फ़रहादो-कै़स ख़्त्म हुए
कोई दिवाना है, लेता है सच का नाम अब तक
फ़रेबो-मक्र२ मक्र<ref>छल-छद्म</ref> को करता नहीं सलाम अब तकहै बात साफ़ सज़ा उसकी संगसारी३ संगसारी<ref>दण्ड का विधान, जिसके अनुसार अपराधी को पत्थर मारे जाते हैं</ref> है
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