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Kavita Kosh से
इक बाँकपन से जीना इक बाँकपन से मरना
दरिया की ज़िन्दगी पर सद्क़े सदक़े हज़ार जानेजानें
मुझ को नहीं गवारा साहिल की मौत मरना
इक मौज-ए-तह-नशीं का मुद्दत के बाद उभरना
जो ज़िस्त ज़ीस्त को न समझे जो मौत को न जाने
जीना उन्हीं का जीना मरना उन्हीं का मरना