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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री }} <poem> '''चण्डालिका'''<ref>मेरे वतन बल...
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{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
}}
<poem>
'''चण्डालिका'''<ref>मेरे वतन बलरामपुर से चन्द मील के फ़ासले पर श्रीवस्ती का क़दीम इलाक़ा है जहाँ गौतम बुद्ध ने बहुत सी बरसातें गुज़ारीं। चण्डालिका एक अछूत लड़की है जो गौतम बुद्ध के एक शागिर्द आनन्द पर आशिक़ हो गई थी। यह इश्क़ उसको गौतम बुद्ध के विहार तक ले गया और वह वहीं रह गई।</ref>
ये ख़ाके-पाक<ref>पवित्र</ref> जो गौतम के क़दमों से मुनव्वर है
श्रीवस्ती की बस्ती है
यहाँ इक सादा-ओ-मासूम दिल
रौशन हुआ था इश्क़ के पाकीज़ा शो’ले से
धुआँ उट्ठा
बदन से ऊद-ओ-अम्बर की महक आई
वो ख़ुश्बू
अब भी आवारा है जंगल की हवाओं में
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'''चण्डालिका'''<ref>मेरे वतन बलरामपुर से चन्द मील के फ़ासले पर श्रीवस्ती का क़दीम इलाक़ा है जहाँ गौतम बुद्ध ने बहुत सी बरसातें गुज़ारीं। चण्डालिका एक अछूत लड़की है जो गौतम बुद्ध के एक शागिर्द आनन्द पर आशिक़ हो गई थी। यह इश्क़ उसको गौतम बुद्ध के विहार तक ले गया और वह वहीं रह गई।</ref>
ये ख़ाके-पाक<ref>पवित्र</ref> जो गौतम के क़दमों से मुनव्वर है
श्रीवस्ती की बस्ती है
यहाँ इक सादा-ओ-मासूम दिल
रौशन हुआ था इश्क़ के पाकीज़ा शो’ले से
धुआँ उट्ठा
बदन से ऊद-ओ-अम्बर की महक आई
वो ख़ुश्बू
अब भी आवारा है जंगल की हवाओं में
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