भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
तेरी गली में सारा दिन <br>
दुख के कन्कर कंकर चुनता हूँ <br><br>
मुझ से आँख मिलाये कौन<br>
आती रुत मुझे रोयेगी <br>
जाती रुत का झोँका झोंका हूँ <br><br>
Mover, Uploader
752
edits