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पुरानी सुहब्बतें याद आती है<br>
चरागों का धुआ धुआँ देखा ना जाये<br><br>
भरी बरसात खाली जा रही है<br>
वही जो हासिल-ए-हस्ती है नासिर<br>
उसी को मेहेरबान मेहरबान देखा ना जाये
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