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Kavita Kosh से
ख़ुदा करे कोई तेरे सिवा न पहचाने <br><br>
मिटी -मिटी सी उम्मीदें थके -थके से ख़याल <br>बुझे -बुझे से निगाहों में ग़म के अफ़साने <br><br>
हज़ार शुक्र के हम ने ज़ुबाँ से कुछ न कहा <br>
ख़याल आ गया मायूस रहगुज़ारों का <br>
पलट के आ गये मन्ज़िल मंज़िल से तेरे दीवाने <br><br>
कहाँ है तू के तेरे इन्तज़ार इंतज़ार में ऐ दोस्त <br>
तमाम रात सुलगते रहे दिल के वीराने <br><br>
उम्मीद-ए-पुर्सिश-ए-ग़म किस से कीजिये "नासिर"<br>
जो मेरे दिल पे गुज़रती है कोई क्या जाने <br><br>