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{{KKRachna
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
}}
<poem>
'''दुपहरी'''


हमने
कागज़-सी चिट्टी
कुरकुरी दुपहरी
भरकर दो नामों से
छिपकर
हँसकर
एक बेंच पर
चिपका दी

:::: मरुगंधों से
:::: लिपट
:::: स्वेद का
:::: सौंधापन
:::: फड़फड़ा रहा है।
</poem>