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|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
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समेट ली किरण कठिन दिनेश ने]

सभा बादल दिया तिमिर-प्रवेश ने,

सिंगार कर लिया गगन प्रदेश ने;

---नटी निशीथ

का पुलक

उठा हिया!


समीर कह चला कि प्‍यार का प्रहरे,

मिली भुजा-भुजा, मिले अधर-अधर,

प्रणय प्रसून गया सेज पर गया बिखर;

निशा सभीत

ने कहा कि क्‍या किया!


अशंक शुक्र पूर्व में पुवा हया,

क्षितिज अरुण प्रकाश से छुआ हुआ,

समीर है कि सृष्‍ट‍िकार की दुआ;

निशा बिनीत

ने कहा कि

शुक्रिया!
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