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Kavita Kosh से
मोर मुँगरी का रोजै बनावत है बल्ला ,
इहाँ देउरन की न कौनो कमी
मोय भौजी बुलावत ई सारा मोहल्ला !
छप्पन छूरी इन छुकरियन में छुट्टा
तुहै छोड़, कहि देत, मइके न जइबे !
दुहू गोड़ तोड़ब घरै माँ बिठइबे !
छिंगुनियाके छल्ला पे ...!
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