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हम तुमसे क्या उम्मीद करते / अंशु मालवीय
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09:15, 9 जून 2009
इतना सब कुछ करते हुए आज अकेले बचे तुम
अकेले...और...अछूत !
</poem>
अनिल जनविजय
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