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|रचनाकार=केशव.
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[[Category:छंद]]
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नैनन के तारन मै राखौ प्यारे पूतरी कै ,मुरली ज्योँ लाय राखौं दसन बसन मैं ।मैं।राखौ भुज बीच बनमाली बनमाला करि ,चंदन ज्योँ चतुर चढ़ाय राखौं तन मैँ ।मैँ।केसोराय कल कंठ राखौ बलि कठुला कै ,भरमि भरमि क्यों हूँ आनी है भवन मैँ ।मैँ।चंपक कली सी बाल सूँघि सूँघि देवता सी ,लेहु प्यारे लाल इन्हेँ मेलि राखौं तन मैँ ।मैँ।
'''केशव. का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
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