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{{KKRachna
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
}}
<poem>
'''अवगाहन'''
किसी
मूक-वेदन की
विकल, विवश
पीडा की
आहत-आकुल
मोहकता
हाथों में
कसकर
छूने चली
:::::आकाश
स्वरों के अवगाहन को।
</poem>
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|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
}}
<poem>
'''अवगाहन'''
किसी
मूक-वेदन की
विकल, विवश
पीडा की
आहत-आकुल
मोहकता
हाथों में
कसकर
छूने चली
:::::आकाश
स्वरों के अवगाहन को।
</poem>