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रचना / अरुणा राय

113 bytes added, 13:30, 23 जून 2009
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{{KKRachna
|रचनाकार=अरुणा राय
|संग्रह=
}}<poem>
जब कोई बात
मेरी समझ में आती है
और
कल को उसे खड़ी पाती हूं ...
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