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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रहीम}}[[Category:दोहे]]मानो मूरत मोम की, धरै रंग सुर तंग । <BR/>
नैन रंगीले होते हैं, देखत बाको रंग ॥ 301 ॥ <BR/><BR/>