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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रहीम}}[[Category:दोहे]]उमड़ि-उमड़ि घन घुमड़े, दिसि बिदिसान । <BR/>
सावन दिन मनभावन, करत पयान ॥ 401 ॥ <BR/><BR/>