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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[= जावेद अख़्तर]][[Category:कविताएँ]]}}
[[Category:गज़ल]]
मुझको यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं <br>
जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं <br><br>