भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
रक्त सने हाथोँ मे कुछ सन्धिपत्र जैसा
आश्वासनो का हल्ला हो गया गगन मे
टाकेँगे चाँद चांद तारे हर एक के क़फ़न मे
सत्ता सजा रही है बाज़ार क्रांतियोँ का
वर्तमान पुस्तक की यह आवरण कथा है।
</Poem>