भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[पुरसिश-ए-ग़म का शुक्रिया, क्या तुझे आगही नहीं / अहसान बिन 'दानिश' ]]
*[[सिर्फ़ अश्क-ओ-तबस्सुम में उलझे रहे / अहसान बिन 'दानिश' ]]
*[न सियो होंट, न ख़्वाबों में सदा दो हम को / अहसान बिन 'दानिश' ]]