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[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
सूरज दादा रहम करो,
गरमी को कुछ कम करो।
सुबह सवेरे आते हो,
बहुत देर से जाते हो।
सूरज दादा रहम करो, <br>गरमी को कुछ कम करो।<br> सुबह सवेरे आते हो, <br> बहुत देर से जाते हो।<br> इतना न तुम काम करो, <br> थोड़ा तो आराम करो।<br> धरती खूब तपाते हो, <br> बच्चों को झुलसाते हो।<br> खूब पसीना आता है, <br> काम नहीं हो पाता है।<br> न ही पाते हैं हम खेल, <br> घर में ही बन गई है जेल।<br> पंखा, कूलर, ठंडा पानी, <br> देते है थोड़ी ज़िंदगानी।<br> चली जाए जब बिजली रानी, <br> सबको याद आती है नानी।<br>
लू ने किया हाल-बेहालधरती खूब तपाते हो, <br>बच्चों को झुलसाते हो।
सूख गए सब पोखर-ताल।<br>खूब पसीना आता है, काम नहीं हो पाता है।
नहीं मिलता पीने को पानीन ही पाते हैं हम खेल, <br>घर में ही बन गई है जेल।
सुस्त हो गई चिड़िया रानी।<br>पंखा, कूलर, ठंडा पानी,देते है थोड़ी ज़िंदगानी।
बच्चों से थोड़ा प्यार करोचली जाए जब बिजली रानी, <br>सबको याद आती है नानी।
छुट्टियाँ न बेकार करो।<br>लू ने किया हाल-बेहाल, सूख गए सब पोखर-ताल।
विनती है तुम सेंक घटाओनहीं मिलता पीने को पानी, <br>सुस्त हो गई चिड़िया रानी।
चंदा-मामा बच्चों से बन जाओ।<br>थोड़ा प्यार करो, छुट्टियाँ न बेकार करो।
विनती है तुम सेंक घटाओ, चंदा-0-मामा से बन जाओ।</poem>
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