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कुछ मक़्ते / यगाना चंगेज़ी

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|रचनाकार=यगाना चंगेज़ी
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[[Category:ग़ज़ल]]
 
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हिजाबो-नाज़ बेजा ‘यास’ जिस दिन बीच में आया।
 
उसी दिन से लड़ाई ठन गई शेख़ो-बिरहमन में॥
 
 
यहीं से सैर कर लो ‘यास’ इतनी दूर क्यों जाओ।
 
अदम आबाद का डांडा मिला है कूए-क़ातिल से॥
 
 
क्या कोई पूछनेवाला भी अब अपना न रहा।
 
दर्दे-दिल रोने लगे ‘यास’ जो बेगानों से॥
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