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चन्द शेर / आसी ग़ाज़ीपुरी

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"कि तेरे नाम की रट है, ख़ुदा के नाम के बाद"॥
 
 
 
यह हालत है तो शायद रहम आ जाय।
 
कोई उसको दिखा दे दिल हमारा॥
 
 
 
ज़ाहिर में तो कुछ चोट नहीं खाई है ऐसी।
 
क्यों हाथ उठाया नहीं जाता है जिगर से?
 
 
 
ता-सहर वो भी न छोड़ी तूने ऐ बादे-सबा!
 
यादगारे-रौनक़े-महफ़िल थी परवाने की ख़ाक॥
 
 
वो कहते हैं--"मैं ज़िन्दगानी हूँ तेरी"।
 
यह सच है तो इसका भरोसा नहीं है॥