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{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category: मुक्तक]]
<poem>
'''मैं उजाला हूँ'''
मैं उजाला हूँ ,उजाला ही रहूँगा ।
अँधेरी गलियों में ज्योति-सा बहूँगा ।
चाँद मुझे गह लेंगे कुछ पल के लिए ,
पर मैं रोशनी की कहानी कहूँगा ॥
उपहार
पल जो भी मिले हैं मुझे उपहार में ।
उनको लुटा दूँगा मैं सिर्फ़ प्यार में ।
नफ़रत की फ़सलें उगाई हैं जिसने;
मिलेगा उसे क्या अब इस संसार में ॥
</Poem>
{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category: मुक्तक]]
<poem>
'''मैं उजाला हूँ'''
मैं उजाला हूँ ,उजाला ही रहूँगा ।
अँधेरी गलियों में ज्योति-सा बहूँगा ।
चाँद मुझे गह लेंगे कुछ पल के लिए ,
पर मैं रोशनी की कहानी कहूँगा ॥
उपहार
पल जो भी मिले हैं मुझे उपहार में ।
उनको लुटा दूँगा मैं सिर्फ़ प्यार में ।
नफ़रत की फ़सलें उगाई हैं जिसने;
मिलेगा उसे क्या अब इस संसार में ॥
</Poem>