Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमाब अकबराबादी |संग्रह= }} <poem> मैं सुपुर्दे-खुदफ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
|संग्रह=
}}
<poem>

मैं सुपुर्दे-खुदफ़रामोशी हूँ तू महवे-ख़ुदी।
तेरी हुशयारी से अच्छा है मेरा दीवानापन॥

ग़ाफ़िलों पर गर न हो फ़ितरत को मुर्दों का यक़ीं।
रात को दुनिया पै डाला जाय क्यों काला कफ़न॥

फ़र्श से ता-अर्श मुमकिन है तरक्क़ी-ओ-उरूज।
फिर फ़रिश्ता भी बना लेंगे तुझे, इन्साँ तो बन॥

</poem>