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16:57, 3 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
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[[Category:गज़ल]]
<poem>
उनकी ख़ुशी में जान दूँ, मेरी ख़ुशी-ख़ुशी नहीं।
जैसे वही तो हैं ख़ुदा, मैं कोई चीज़ ही नहीं॥
उनकी पस्न्द है नियाज़, तर्के-नियाज़ क्या करूँ?
कोशिशे-बन्दगी में हूँ, आदते-बन्दगी नहीं॥
</poem>